"मेरे सिकीलधे मीठे बच्चे... परमात्म छत्रछाया में सदा माया की छाया से सुरक्षित हो चलो... हर दिल पर ज्ञान के अखूट खजाने लुटाने वाले, दौलतमंद बन मुस्कराओ... सच्ची यादो की खुशबु को इस कदर फैलाओ कि... हर आत्मा आकर्षित होकर दिल से खिची...बरबस दौड़ी चली आये..."
फालो एक ब्रह्मा बाप को करो बाकी सबसे गुण ग्रहण करो।
Follow one Father Brahma alone and pick up virtues from everyone else.
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इस पुरानी कलयुगी दुनिया में तो चारों तरफ विकारों की आग लगी हुई है... आत्मायें सुख शान्ति पाने के लिए तड़प रही हैं... प्रकृति भी तमोप्रधान है... अब यह दुनिया रहने लायक नहीं रह गई... बाबा का इशारा समझ रही हूँ... *कमलपुष्प समान न्यारे रहकर हर कर्म को कुशलता से करते जाना है...* समाप्ति के समय को समीप लाने के लिए पुरुषार्थ में तीव्रता लानी है...
सर्व बंधनों से मुक्त मैं आत्मा इस देह की मालिक हूँ... इस देह रूपी वस्त्र को धारण कर मैं आत्मा सर्व कर्म कर रही हूँ... *इस विनाशी देह में रहकर अपना पार्ट बजाने वाली मैं अविनाशी आत्मा हूँ...* मैं तो एक अशरीरी आत्मा हूँ... इस शरीर को धारण कर कर्मेन्द्रियों द्वारा कर्म करती हूँ... ये मन, बुद्धि भी मुझ आत्मा के ही सूक्ष्म शक्तियां हैं... मैं आत्मा अज्ञानता वश इनके अधीन होकर दुखी हो गई थी... अब मैं आत्मा इनको अपने अधीन कर जैसा चाहे वैसा कर्म करा रही हूँ...